क्या टेक्नोलॉजी क्रिकेट कि मासूमियत छीन रही है? क्या टेक्नोलॉजी क्रिकेट से मनोरंजन को कम कर रही है?
मैं यह नहीं मानता! मैं तो यह कहता हूँ कि टेक्नोलॉजी का पूर्ण उपयोग न करने से हम इस असमंजस भरी स्थिथि मैं हैं। यदि स्निक्कोमीटर या हाव्क आए जैसी टेक्नोलॉजी अम्पाइर के पास होती तो वह कभी गलत डिसीजन नहीं देते और इतना बवाल कभी नहीं उठता। कृपा करके आप यह समझे कि उम्पिरे भी इंसान हैं और गलतियां भी इंसान ही करतें हैं। इस प्रकार का टेक्नोलॉजी का अर्ध उपयोग क्रिकेट को एक सज्जन और भावनात्मक खेल से एक ठंडा खेल बना रह है। आज कि ज़रूरत है कि या तो हम टेक्नोलॉजी का पूर्ण उपयोग करें या फिर अम्पाइर पे पूर्ण भरोसा.
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